एक कहानी आप के लिए (भाग -२)
एक बार एक आमिर आदमी अपने बेटे के साथ कही जा रहा था |तभी उन्हें रास्ते मैं एक जोड़ी पुराने जूते दिखे , जो संभवतः पास के खेत मैं कम कर रहे गरीब मजदूर के थे |मजदूर कम ख़तम करके भर लौटने की तैयारी कर रहा था | तभी बेटे ने आमिर पिता से कहा की पिताजी , क्यों ना इन जूतों को छिपा दे , मजदूर को परेशान देखकर बड़ा मजा आएगा | आदमी ने गंभीर होकर कहा की किसी का मजाक उड़ना सही नहीं है | इसके बजाये क्यों ना हम इन जूतों मैं कुछ सिक्के डाल दें और देखें कि मजदुर पर काया प्रभाव पड़ता है | बेटे ने वैसा ही किया और फिर पिता-बेटे छिपकर मजदुर को देखने लगे | काम ख़त्म करके आये मजदुर ने जब जूते पहने तो उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ | उसने जूतों को पलटा तो उनमें से सिक्के निकल आये | मजदुर ने इधर -उधर देखा , जब उसे कोई नजर नहीं आया तो उसने सिक्के जेब मैं डाल लिए और बोला की हे भगवान , उस अनजान सहायक का धन्यवाद जिसने मुझे यह सिक्के दिए | उसके कारण आज मेरे परिवार को खाना मिल सकेगा | मजदुर की बातें सुनकर बेटे की आंखे भर आई और वह अपने पिता से बोल की सच है लेने की अपेक्षा देना कंही अधिक आनंददायी होता है |
मंत्र : किसी को कोई ख़ुशी देने से बढ़कर और कोई सुख नहीं होता |
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