एक कहानी आप के लिए (भाग-१)
एक परम धार्मिक बौद्ध महिला हर संभव प्रयास करती थी कि वह अपने मन , वचन और कर्मों से किसी का भी आहित न कर दे लेकिन जब कभी वह बाजार मैं सामान खरीदने जाती , एक दुकानदार उससे अभद्रता करता | एक बारिश वाले दिन जब दुकानदार ने फिर से उससे अभद्रतापूर्वक बात की तो महिला आत्मनियंत्रण खो बैठी और उसने दुकानदार के सिर पर छाते से प्रहार कर दिया | इस घटना से ग्लानिवश , वह उसी दिन एक मठ मैं गई और वहां प्रधान भिक्षु को सारा वृतांत सुनाया , महिला ने कहा , 'मैं बहुत दुखी हूँ | आज पता नहीं कैसे मैं मन पर नियंत्रण को बैठी |' "देखो ",भिक्षु ने कहा ,"अपने मन मैं इस प्रकार ग्लानी का भाव रखना उचित नहीं है |जीवन मैं हमें एक -दुसरे को अपनी मन की भावनाएं बताने के लिए उनसे संवाद करना ही पड़ता है और तुम इसमें कुछ कर भी नहीं सकती क्योंकि हर व्यक्ति का स्वभाव भिन्न होता है | भविष्य मैं तुम यहाँ करना की अगली बार यदि वह कोई अभद्रता करे तो तुम अपने ह्रदय मैं असीम करुना एकत्र करना और पहले से भी अधिक जोर से उसे छाते से मरना , क्योंकि वह उसकी भाषा ही समझता है|
मंत्र : जो जिस भाषा मैं समझे , उसे उसी भाषा मैं समझाना चाहिए |
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Typed by: M.Ram Gopal
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